व्यक्ति के जीवन और उसके साथ नव ग्रहों की चाल इंडीकेट करती है। क्या होने वाला है और क्या हो सकता है। संभावनाओं को आप कुंडली और अन्य ज्योतिष के माध्यम से जान सकते हैं। जिन लोगों की जन्म कुंडली में अगर राजयोग होते हैं, तो उन्हें सभी राजाओ जैसी सुख-सुविधाएं मिलती हैं और वे राजशाही जीवन व्यतीत करते हैं। यहां आप जानेंगे कुंडली के कुछ खास राजयोग…
Raaj Yoga
लक्ष्मी योग
लग्न कुंडली में किसी भी भाव या घर में चंद्र मंगल का योग बने तो जीवन में कभी भी धन दौलत की कोई कमी नहीं होती। सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ मान सम्मान भी मिलता है।
रूचक योग
मंगल केंद्र भाव में होकर अपने मूल त्रिकोण (पहला पांचवां और नवां ) स्वग्रही (मेष या वृश्चिक भाव में हो तो )अथवा उच्च राशि (मकर ) का हो तो रूचक योग बनता है। रूचक योग होने पर आदमी बलवान , साहसी , तेजस्वी ,उच्च स्तरीय वहां रखने वाला होता है।
इस योग में जन्मा व्यक्ति विशेष पद की प्राप्ति करता है।
भद्र योग
बुध गृह केंद्र में मूल त्रिकोण स्वग्रही (मिथुन या कन्या राशि में हो ) अथवा उच्च राशि ( कन्या )
का हो तो भद्र योग बनाता है। इस योग से व्यक्ति उच्च व्यवसायी होता है। इंसान अपने कौशल , प्रबंधन , बुद्धि – विवेक का उपयोग करते हुए धन कमाता अहि। यह योग सप्तम भाव में होता है तो व्यक्ति अपने देश का जाना माना बड़ा उद्योगपति बन जाता है।
हंस योग
बृहस्पति केंद्र भाव में होकर मूल त्रिकोण ( धनु या मीन राशि ) अथवा उच्च राशि (कर्क ) का हो तो हंस योग बनता है। यह योग व्यक्ति को सूंदर हंसमुख और मिलनसार विनम्र और धन सम्पति वाला बनाता है। व्यक्ति पूण्य कर्मो में रूचि रखने वाला और दयालु शास्त्र का ज्ञान रखने वाला होता है।
मालव्य योग
जन्म कुंडली के केंद्र भावों में स्थित शुक्र गृह मूल त्रिकोण अथवा स्वग्रही ( वृष या तुला राशि में हो ) का उच्च राशि (मीन ) का हो तो मालव्य योग बनता है। इस योग से व्यक्ति सूंदर , गुनी , तेजस्वी धैर्यवान धनि तथा सुख सुविधाएँ प्राप्त करता है।
Read More: Haryanvi sunita baby dance video
शश योग
यदि कुंडली में शनि की खुद की राशि मकर या दकुम्भ में हो या उच्च राशि तुला राशि का हो या मूल त्रिकोण में हो तो शश योग बनता है। ऐसा योग सातवें भाव या दशम भाव में हो तो मनुष्य अपार धन सम्पदा का स्वामी होता है। व्यवसाय और नौकरी के क्षेत्र में ख्याति और उच्च पद को प्राप्त करता है।
गजकेशरी योग
जिसकी कुंडली में शुभ गजकेसरी योग होता है , वह बुद्धिमान होने के साथ ही प्रतिभाशाली भी होता है। एक यक्तित्व गंभीर व् प्रभावशाली होता है। समाज में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करते है। शुभ योग के लिए आवश्यक है की गुरु व चंद्र दोनों ही नीच के नहीं होने चाहिए। साथ ही शनि या राहु जैसे पापग्रहों से प्रभावित नै होना चाहिए।
Tazahindisamachar.com is most popular hindi news website