शास्त्रों के अनुसार अच्छे और सुखी जीवन के लिए कई ऐसे नियम बनाए हुए हैं, जिनका पालन करना बहुत अनिवार्य है।ब्रह्मवैवर्तपुराण में बताए गए है ऐसे काम, जो आपको कभी नहीं करना चाहिए। जो लोग कभी ये काम करते हैं, उनके घर-परिवार में जल्दी ही दरिद्रता बढऩे लगती है। इन 8 चीजों को आप कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखे। इन्हें आप नीचे रखने से पहले कोई कपड़ा बिछाएं या किसी उचित ऊंचे स्थान पर रखें।
इन चीजों को आप कभी जमीन पर न रखें 1. दीपक 2. शिवलिंग 3. शालग्राम 4.मणि 5. देवी-देवताओं की मूर्तियां 6. यज्ञोपवीत , मालाएं 7. सोना 8. शंख
इन तिथियों पर जरूर ध्यान रखें ये बातें… हिंदी पंचांग के अनुसार किसी भी महीने की अमावस्या, पूर्णिमा,चतुर्दशी, चौदस और अष्टमी तिथि पर स्त्री संग, केसी भी तेल मालिश और मांसाहार आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
सुबह उठते वक्त ध्यान रखें ये जरुरी बातें…स्त्री हो या पुरुष, सुबह उठते वक्त अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए दोनों हथेलियों को सम्मुख देखना चाहिए। उठने के बाद अधिक समय तक बिना नहाए नहीं रहें । रात में सोते समय के पहने हुए कपड़ों को शीघ्र त्याग दे।
कभी भी इनका अनादर ना करें : हमें कभी भी किसी भी परिस्थिति में पिता, माता, पुत्र, पुत्री,पतिव्रता पत्नी, श्रेष्ठ पति, गुरु, अनाथ स्त्री, बहन,भाई, देवी-देवता और विद्वान लोगों का अनादर नहीं करना । अनादर करने पर यदि व्यक्ति धनकुबेर भी हो, तो उसका खजाना खाली होने में वक्त नहीं लगता। ऐसे लोगों को जो अपमान करने वाले व्यक्ति है उनको महालक्ष्मी हमेशा के लिए ही त्याग देती हैं।
इस समय पर न करें समागम…दिन के समय व सुबह-शाम पूजन के समय स्त्री और पुरुष को आपस में समागम नहीं करना चाहिए। जो लोग ऐसा करते हैं, उन्हें महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं पाती। कई प्रकार के रोगों का सामना भी करना पड़ता है।ऐसा करने की वजह से स्त्री और पुरुष, दोनों को आंख और कान से जुड़े रोग होने का डर रहता है। साथ ही साथ इसे पुण्यों का विनाश करने वाला कार्य भी माना गया है।
ध्यान रखें ये जरुरी बातें…हम जब भी कहीं बाहर से लौटकर अपने घर आते हैं, तो आपको सीधे घर में प्रवेश नहीं करना चाहिए। घर के मुख्य द्वार के बाहर ही दोनों पैरों को साफ पानी से धोकर ही घर में प्रवेश करें। ऐसा करने मात्र से ही घर की पवित्रता और स्वच्छता बनी रहेगी।
ब्रह्मवैवर्तपुराण का परिचय यह पुराण एक वैष्णव पुराण है। इस पुराण के केंद्र में भगवान श्रीहरि और भगवान् श्रीकृष्ण हैं। यह चार खंडों में विभाजित है। इसका पहला खंड ब्रह्म खंड है, दूसरा खंड प्रकृति खंड है, तीसरा खंड गणपति खंड है और चौथा खंड श्रीकृष्ण जन्म खंड है। इस पुराण में श्रेष्ठ जीवन के लिए भी कई अहम् सूत्र बताए गए हैं।