Kundli: ज्योतिषशास्त्र के विद्वानों से यह बात छिपी हुई नहीं है कि यदि बालक का जन्म ठीक होगा तो ग्रहों का फल भी ठीक होगा , और यदि इष्ट में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी हो गई तो सम्पूर्ण फल में गड़बड़ी हो जाती है , इसलिए बालक के पिता को उचित तरीके से प्रसव के समय ऐसी चतुर स्त्री को नियुक्त करें जो बच्चे के जन्म लेते ही पहली स्वांस का समय ले सके। और उसकी सुचना बाहर दे सके। बिना इस सही समय की जानकारी के जन्म पत्र अशुद्ध हो जाता है।
आपको यह मालूम करना चाहिए की जन्म का समय सही है या नहीं इसके लिए लग्न जातक से वह सब मेल मिल जाये तो मान लो की जन्म का समय ठीक है। यहाँ आप आप ने सटीक समय पर बानी कुंडली को अपने सामने रख ले और लग्न को देखकर बच्चे के आचरण और उससे जुडी जानकारी से मिलान करें।
कुंडली
Lagn Kundli
ऐसे देखें : कुंडली में जिस घर में लग्न लिखा है उस घर में जो अंक लिखा है उस नंबर की राशि को ही उसका लग्न कहा जाता है जैसे लग्न घर में अंक 2 है या 4 है तो इस प्रकार देखें राशियों का क्रम 1 मेष, 2 वृष, 3 मिथुन, 4 कर्क, 5 सिंह, 6 कन्या, 7 तुला, 8 वृश्चिक, 9 धनु, 10 मकर, 11 कुम्भ, 12 मीन।
2 नंबर की राशि वृष है तो लग्न वृष होगा या लग्न में अंक 4 लिखा हो तो लग्न कर्क होगा , ईसी प्रकार आप अपने कुंडली में लग्न देखकर जन्म समय की सटीकता की पहचान करें।
प्रशव घर कोई भी कमरा हो सकता है इसको मुख्य घर न समझे
यदि बालक के जन्म समय में लग्न तुला , वृश्चिक , कुम्भ , मेष , कर्क , हो तो प्रसव के घर का द्वार पूर्वमुख था।
यदि कन्या धनु मीन मिथुन लग्न में बालक का जन्म हो तो प्रसूतिघर का द्वार उत्तर की ओर था।
जन्म लग्न वृष लग्न हो तो प्रसूति द्वार पश्चिम मुख होगा।
जन्म समय सिंह और मकर लग्न हो तो प्रसूता द्वार दक्षिण होना चाहिए।
इसी प्रकार अपने प्रसूति घर के बारे में जानकारी सही मिलान करके भी जन्म समय के समय की सही गलत की जानकारी देख सकते है
ज्योतिष विद्या में बालक के जन्म लेते ही रोने सम्बन्धी जानकारी से भी सही गलत समय की पहचान की जा सकती है।
बालक के जन्म समय में मेष , वृष , सिंह , मिथुन , तुला लग्न हो तो बालक जन्म लेते ही रोया करते है ।
कुम्भ, कन्या लग्न वाले बालक कुछ रोदन करते है
कर्क , वृश्चिक , धनु , मीन लग्न में जन्मे बालक जन्म लेते ही नहीं रोते , ये कुछ समय बाद रोते है।
मेष ,वृष , मिथुन , सिंह , तुला लग्नों बालक का जन्म हो तो यह बालक सब ज्ञान को भूलकर बहुत रोदन करता है
कुम्भ और कन्या लग्न वाले कुछ समय के लिए रोते है।
बालक के जन्म कुंडली से जानिए कुछ जन्म से जुड़े ग्रहों के फल
जिस बालक के जन्मकाल में शुक्र बुध हो और केंद्र स्थान १,४,७,१० में बृहस्पति हो तथा दश में मंगल हो तो उस बालक को कुल का दीपक माना जाता है
जिस बालक के जन्म लग्न में बुध शुक्र न हो और केंद्र में बृहस्पति न हो दशम घर में मंगल न हो तो उसका जन्म निरर्थक होता है
जो छठे और बारहवें घर में पापग्रह हो तो मत को भयकारक होता है चौथे दशमें स्थान में पापग्रह हो तो पिता को अरिष्ट होता है।
जो लग्न स्थान या सप्तम स्थान में मंगल हो पंचम में सूर्य और बारहवे स्थान में राहु हो तो वह बालक निस्चय प्रसिद्द पुरुष होता है।
यदि बुध और बृहस्पति दशम स्थान में हो और १,४,७,१० सूर्य मंगल तथा तीसरे ग्यारवें घर में पाप गृह हो तो बालक के हाथ या पेरो में विकार होता है और छ उंगलिया होती है।
यदि बारहवें स्थान में चन्द्र मंगल हो तो बाई आँख में खराबी करते है यदि बारहवें सूर्य और राहु हो तो दाहिना नेत्र में खराबी होती है।
यदि तीसरे स्थान में शुक्र हो सिंह और मेष का बृहस्पति हो और दशवें घर में मंगल सूर्य हो तो बालक गूंगा होता है।
यदि सिंह लग्न में जन्म हो और सप्तम स्थान में शनि हो तो ब्राह्मण घर में जन्म लेते हुए भी म्लेच्छ होगा।
जो पांचवें सातवें नवें बारहवें आठवें तथा लग्न में इनमे किसी स्थान में क्षिणचन्द्रमा पापगृहयुक्त हो और बलवान होकर शुक्र बुध बृहस्पति इनमे से कोई शुभगृह न देखता हो तो या इनसे युक्त न हो तो बालक की मृत्यु हो जाती है।
यदि कृष्ण पक्ष में दिन में जन्म हुआ हो और शुक्ल पक्ष में रात को जन्म हुआ हो उस वक्त छठे और आठवें स्थान में चन्द्रमा हो तो सम्पूर्ण अरिष्ट निवारण होते है। ज्योतिष उपाय से कुछ हद तक सहूलियत मिल जाती है।
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